42 Part
52 times read
0 Liked
चित्राधार -जयशंकर प्रसाद कानन-कुसुम - पुन्य औ पाप न जान्यो जात। सब तेरे ही काज करत हैं और न उन्हे सिरात ॥ सखा होय सुभ सीख देत कोउ काहू को मन ...